मकरंद वैंगनकर का नाम भारत में क्रिकेट के कॉलम लेखकों में शामिल है। उनको सबसे अधिक क्रिकेट के पिच पर गुजारे गए अपने खेल जीवन के दौरान प्राप्त हुए अनुभवों को बड़ी ही सावधानी बरतते हुए किए गए शोध के साथ मिलाकर पेश करने के लिए जाना जाता है। वे एक पत्रकार, कॉलम लेखक, शोधकर्ता, प्रतिभा के पारखी और एक प्रशासक आदि सभी भूमिकाओं को इतनी खूबसूरती से निभाते आए हैं कि अब ऐसा प्रतीत होने लगा है कि इनका जन्म इन सभी भूमिकाओं के निर्वाह हेतु ही हुआ है। इन्होंने बी.सी.सी.आई. (भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड) की ओर से सन् 2002 में प्रतिभा संसाधन विकास प्रभाग (टी.आर. डी.डब्ल्यू.) की शुरुआत की, तब से लेकर टी.आर.डी.डब्ल्यू. बहुत सारे छोटे शहरों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवानेवाले खिलाडि़यों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाकर प्रसिद्धि प्रदान करने हेतु, जिसमें भारतीय क्रिकेट टीम के वर्तमान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का नाम भी सम्मिलित है, सहभागी रहा है। वस्तुतः सन् 2011 में जिस भारतीय क्रिकेट टीम ने भारत को विश्व कप दिलवाकर गौरवान्वित किया, उसमें सात खिलाड़ी ऐसे थे, जिन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्रदान करने का श्रेय टी.आर. डी.डब्ल्यू. को जाता है। मकरंद बड़ौदा क्रिकेट संघ के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ अकादमी के परामर्शदाता भी हैं।