मनोज केशव एन.एल.पी के अग्रणी अंतरराष्ट्रीय सिद्धहस्त प्रशिक्षक, मनोवैज्ञानिक और थेरैपिस्ट हैं, जिनके पास 20 वर्षों से भी अधिक का जीवन-परिवर्तन तथा प्रयोगात्मक कार्यशालाओं के प्रशिक्षण का अनुभव है।
उनके प्रशिक्षण का अंदाज इनसाइड-आउट वाला रहता है। उनका मानना है कि किसी के अंदर बदलाव लाने के लिए हमें उस व्यक्ति के अंदर जाना पड़ेगा, यानी उसके दिमाग की अनंत गहराइयों से गुजरना पड़ेगा। इसमें उस व्यक्ति की अंदरूनी ड्राइव्स, उदाहरण के तौर पर और काफी करीने से सँभालकर रखी गई धारणा प्रणाली को उभारना पड़ेगा।
पिसक्युरिश ने जैसा जिक्र किया
मनोज का यह दृढ़तापूर्वक मानना है कि प्रशिक्षण से परिवर्तन आ सकता है। सिलेबस को पूरा करना आसान है, लेकिन परिवर्तन आसान काम नहीं है। यह एक कला का रूप है। इसमें रचनाशीलता, कला-कौशल और विशेष गुणों पर मास्टरी की जरूरत होती है। उनकी बहुआयामी अध्यापन कला में प्रायोगिक अभ्यासों, सीखने की प्रक्रिया के दौरान खोज, अच्छी तरह से सोचकर भूमिकाओं को तैयार करना और सभी प्रक्रियाओं को आपस में जोड़ने की जो कला मौजूद है, वह जबरदस्त परिणामों को हासिल करने की उनकी क्षमता को दरशाती है।
उनके पास एक वैज्ञानिक मनःस्थिति है और आत्म-सुधार को वे एक निरंतर प्रक्रिया मानते हैं।