मिलाप चंद डंडिया राजस्थान के वरिष्ठतम पत्रकारों में हैं। पत्रकार के रूप में आधी शताब्दी पूर्व प्रारंभ हुई डंडिया की यात्रा जयपुर के दैनिक ‘जयभूमि’ और दैनिक ‘लोकवाणी’ के प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में शुरू हुई। स्वयं का ‘समृद्धि’ नामक साप्ताहिक तथा राजस्थान का पहला वार्षिक संदर्भ ग्रंथ ‘राजस्थान इयर बुक ऐंड हूज हू’ प्रकाशित किया। देश की ख्याति- प्राप्त पत्र-पत्रिकाओं यथा—‘दि इकोनॉमिक टाइम्स’, ‘द बिजनेस स्टैंडर्ड’, ‘द टेलीग्राफ’, ‘द ट्रिब्यून’, ‘दि एशियन एज’, ‘रविवार’, ‘संडे’, ‘इतवारी पत्रिका’ के संवाददाता के रूप में कार्य किया और खोजपूर्ण पत्रकार के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित की। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, मुख्य सचिव, मंत्रिगण, विधायक जैसे उच्च पदस्थ लोग डंडिया की खोजपूर्ण रिपोर्टों के शिकार बने हैं। खोजपूर्ण रिपोर्टों पर आधारित इनकी पुस्तक ‘मुखौटों के पीछे’ राजस्थान की आधी शताब्दी के राजनीतिक व सामाजिक जीवन की विद्रूपताओं का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। श्री डंडिया ने एक पत्रकार के रूप में राज्य के सभी बड़े राजनेताओं को निकट से देखा और पहचाना है। भैरोंसिंह शेखावत से भी उनका परिचय उस दिन से है, जब सन् 1952 में शेखावत विधायक बनकर जयपुर आए थे। ‘माटी बन गई चंदन’ के रूप में भैरोंसिंह शेखावत की यह जीवन-गाथा उनके संबंध में एक प्रामाणिक दस्तावेज है।