चिंतक, विचारक व सबसे महत्त्वपूर्ण एक प्रेरक। वर्तमान में शिक्षा-व्यवस्था को भारत-केंद्रित बनाने के लिए अनुसंधान, प्रकाशन, प्रबोधन व प्रशिक्षण में कार्यरत संगठन भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री हैं। नागपुर से एल-एल.बी. तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1990 में संपूर्ण जीवन समाज-कार्य के लिए समर्पित।
बिना तनाव व भय के परीक्षा देने के लिए उन्होंने अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक ‘परीक्षा दें हँसते-हँसते’ का लेखन किया, जिसकी हिंदी में 1,25,000 तथा मराठी में 25,000 प्रतियाँ प्रसारित हो चुकी हैं। हिंदी में प्रकाशित अन्य पुस्तकें हैं—‘भारत जागो! विश्व जगाओ!!’ तथा ‘स्वामी विवेकानंद के विचारों में भारत का जीवनध्येय’। हिंदी, मराठी तथा अंग्रेजी की विभिन्न पत्रिकाओं में 1500 से अधिक लेख प्रकाशित।
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