हंगरी में जन्मे, निकोलस डरवास ने बुडापेस्ट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की। नाजियों या सोवियतों के कब्जा जमाने से पहले ही, 23 साल की उम्र में एक फर्जी एग्जिट वीजा के सहारे उन्होंने हंगरी छोड़ा और भूख मिटाने के लिए जरूरी पचास पाउंड स्टर्लिंग के साथ तुर्की के इस्तांबुल आ गए। बतौर डांसर अपने काम से मिले खाली समय में हर दिन आठ घंटे के हिसाब से, उन्होंने शेयर बाजार और बड़े-बड़े सटोरियों पर लिखी करीब 200 किताबें पढ़ डालीं। डरवास ने अपना पैसा कुछ ऐसे शेयरों में लगाया जो 52 हफ्ते तक बुलंदी पर थे। उन्हें यह देखकर हैरत हुई कि उनके शेयर लगातार चढ़ते गए और आखिर में उन्होंने अपने शेयर एक बहुत बड़े मुनाफे पर बेच दिए। शेयरों के चुनाव का उनका मुख्य स्रोत बैरंस मैगजीन थी। 39 साल की उम्र में, अच्छी-खासी दौलत कमाने के बाद, डरवास ने अपनी तरकीबों को इस पुस्तक, ‘स्टॉक मार्केट में मैंने 0 से 10 करोड़ रुपए कैसे कमाए’ में दर्ज किया। पुस्तक में उनके अनोखे बॉक्स सिस्टम के बारे में बताया गया है, जिसका इस्तेमाल उन्होंने शेयर खरीदने और बेचने के लिए किया। डरवास की यह पुस्तक आज भी शेयर बाजार पर लिखी एक उत्कृष्ट पुस्तक है।