श्री परमानंद स्वामी अर्थात् श्री अविनाश मोरेश्वर लिमये ने बंबई विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. (भौतिक विज्ञान) तथा आई.आई.टी. पवई, बंबई में मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग में अपनी सेवा दी।
उन्होंने छह आध्यात्मिक ग्रंथ क्रमशः ‘हा राम माझा’, ‘कृष्ण सखा माझा’, ‘कृष्ण परमात्मा’, ‘दत्त हाचि अवधूम’, ‘एक शोध आनंदा चा’ एवं ‘एक प्रवास आनंदा चा’ तथा तीन सौ से अधिक भजन और कई आख्यान लिखे हैं।
स्वामी समर्थ द्वारा पुनर्जीवित की गई गुरु-शिष्य परंपरा का वे अपनी उम्र के 36वें साल से अपने ही निवास स्थान दादर (पश्चिम) में रहकर निर्वाह कर रहे हैं।