‘हर संघर्ष को उसका स्थान मिले’ को अपना ध्येय वाक्य माननेवाली प्रीति कुमारी समाज में ‘पॉजीटिव रिपोर्टिंग’ को अपना लेखन मानती हैं। वे सामाजिक समस्याओं के बीच से जिंदगी तलाशनेवाले लोगों को ‘असली हीरो’ कहती हैं। इग्नू से एम.ए. और जम्मू से बी.एड. कर चुकी प्रीति मूलतः पूर्णिया जिले के जानकीनगर गाँव की रहनेवाली हैं। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी प्रीति ने लक्ष्य और संघर्ष के बीच लुका-छिपी के खेल को बहुत संजीदगी से लिया है। वे चाहती हैं कि बुरे लोग बदलें, ताकि समाज की मासूमियत को मंच मिल सके।