प्रेम सागर ने सिनेमेटोग्राफर के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत, पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफ.टी.आई.आई.) से अपनी पढ़ाई शानदार सफलताओं के साथ पूरी करने के तुरंत बाद, रामानंद सागर की ‘ललकार’ (1970) से की थी।
वह सागर आर्ट्स की कई मशहूर और यादगार फिल्मों के साथ सिनेमेटोग्राफर या टेक्निकल एडवाइजर के रूप में जुड़े रहे, जिनमें ‘चरस’, ‘बगावत’, ‘हमराही’, ‘प्यारा दुश्मन’, ‘अरमान’, ‘जलते बदन’, ‘बादल’, ‘प्रेम बंधन’ और ‘सलमा’ शामिल हैं। उसके बाद वह ‘हम तेरे आशिक हैं’ के साथ डायरेक्टर बन गए।
अस्सी के दशक में, प्रेम सागर ने भारतीय टेलीविजन के पहले फंतासी सीरियल, ‘विक्रम और बेताल’ का निर्माण और निर्देशन किया। ‘रामायण’ सीरियल के साथ सागर करीब से जुड़े थे। ‘श्री कृष्णा’, ‘साईं बाबा’, ‘पृथ्वीराज चौहान’ और ‘चंद्रगुप्त मौर्य’, ‘जय माँ दुर्गा’, ‘महिमा शनि देव की’, ‘जय-जय-जय बजरंग बली’ और ‘बसेरा’ जैसे धारावाहिकों के साथ अलग-अलग भूमिकाओं में जुड़े रहने के कारण प्रेम सागर का टेलीविजन कॅरियर बेहद कामयाब रहा।
‘चरस’, ‘ललकार’, ‘हमराही’ और ‘जलते बदन’ में फोटोग्राफी के डायरेक्टर के रूप में प्रेम सागर को कुल मिलाकर पंद्रह अवार्ड मिले। साथ ही, स्टिल फोटोग्राफी में कई उपलब्धियाँ उन्होंने अपने नाम कीं। उन्हें अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित पुरस्कारों से विभूषित किया जा चुका है।