भगवान् श्रीकृष्ण व बलराम के विद्यागुरु महर्षि संदीपनि वंशोत्पन्न
पं. सूर्यनारायण व्यास (जन्म 2 मार्च, 1902) संस्कृत, ज्योतिष, इतिहास, साहित्य, व पुरातत्त्व के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान् थे। उज्जयिनी के विक्रम विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय कालिदास समारोह, विक्रम कीर्तिमंदिर, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान और कालिदास अकादेमी के संस्थापक पं. व्यास ‘विक्रम’ मासिक के भी वर्षों संचालक-संपादक रहे।
राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी. लिट्. और साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा ‘साहित्य वाचस्पति’ की उपाधि से विभूषित, अनेक भाषाओं के मर्मज्ञ पं. व्यास पचास से अधिक ग्रंथों के लेखक-संपादक थे। वे जितने प्रखर चिंतक व मनीषी थे, उतने ही कर्मठ क्रांतिकारी भी। राष्ट्रीय आंदोलन में उन्होंने जेल-यातनाएँ सहीं और नजरबंद भी रहे। स्वतंत्रता उपरांत राष्ट्र से उन्होंने किसी प्रकार की कोई पेंशन या ताम्रपत्र भी नहीं स्वीकार किया।
अंग्रेजी को अनंतकाल तक जारी रखने के विधेयक के विरोध में उन्होंने 1958 में प्राप्त अपना पद्मभूषण भी 1967 में लौटा दिया था। इतिहास, पुरातत्त्व, साहित्य, संस्कृति, संस्मरण, कला, व्यंग्य विधा हो या यात्रा-साहित्य, उनके ग्रंथ—विक्रम स्मृति ग्रंथ, सागर-प्रवास, वसीयतनामा, यादें, विश्वकवि कालिदास मानक ग्रंथ माने जाते हैं। अनेक राजा-महाराजाओं, राजनेताओं, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से तथा देश-विदेश में सम्मानित पं. व्यास 22 जून, 1976 को स्वर्गारोहण कर गए।