हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर डॉ. आर. रत्नेश ने हिंदी में पी - एच. डी. की उपाधि प्राप्त की है । उच्च शिक्षा में अध्यापन के सुदीर्घ अनुभव के साथ - साथ उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से युवा पीढ़ी को संस्कारित करने का कार्य किया । ' हिंदी नाटकों में राष्ट्रीय नैतिक चेतना, ' ' पं. लक्ष्मीनारायण मिश्र के नाटक ' और चंद्रकला नाटिका- ' पं. विश्वनाथ कविराज ' उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं । संप्रति हिंदी पत्रकारिता की विलुप्तप्राय शब्द - संपदा कोश के संचयन - संपादन कार्य में संलग्न हैं ।