Rabindranath Tagore, also written RavÄ«ndranÄtha ThÄkura, sobriquet Gurudev, was a Bengali polymath who reshaped Bengali literature and music, as well as Indian art with Contextual Modernism in the late 19th and early 20th centuries
रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी की संतान के रूप में 7 मई, 1861 को कलकत्ता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। उनकी स्कूली शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई। लंदन विश्वविद्यालय से कानून का अध्ययन किया। सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ।
बचपन से ही उनकी कविता, छंद और भाषा में अद्भुत प्रतिभा का आभास मिलने लगा था। उन्होंने पहली कविता आठ साल की उम्र में लिखी थी और 1883 में केवल सोलह साल की उम्र में उनकी लघुकथा प्रकाशित हुई। भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान पूँक्तकनेवाले युगद्रष्टा टैगोर के सृजन संसार में ‘गीतांजलि’, ‘पूरबी प्रवाहिनी’, ‘शिशु भोलानाथ’, ‘महुआ’, ‘वनवाणी’, ‘परिशेष’, ‘पुनश्च’, ‘वीथिका शेषलेखा’, ‘चोखेरबाली’, ‘कणिका’, ‘नैवेद्य’ ‘मायेर खेला’ और ‘क्षणिका’ आदि शामिल हैं।
उन्होंने कुछ पुस्तकों का अंगेजी में अनुवाद भी किया। अंग्रेजी अनुवाद के बाद उनकी प्रतिभा पूरे विश्व में फैली। प्रकृति के सान्निध्य में एक लाइब्रेरी के साथ टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना की। सन् 1913 में उनकी काव्य-रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें साहित्य का ‘नोबेल पुरस्कार’ मिला। स्मृतिशेष : 7 अगस्त, 1941