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RAKESH KHAIRWA, DANICS

RAKESH KHAIRWA, DANICS

Hailing from a rural academic background when I started preparation there was lack of information about what to read, how to study, which notes to refer and coaching related various doubts took a lot of time to get appropriate answers to come on right track.
Another thing was the number of selected officers was meagre in my vicinity during these times around 2010 and before. So, the scope of seeking guidance from someone around was narrow. Since then, I had this idea in my mind, however, presently situation has changed a lot predominantly due to I.T. Revolution when one can refer to online lectures, course materials, online mock tests just a single click away.
Further, when you come across any magazine, the journeys of successful candidates are invariably written in question-answer format. In my view, there are lot more things that successful candidates wish to share which the especially newcomers are interested in. Therefore, I felt there has been a persistent gap. It is my heartfelt effort in this direction to fill the evident gap. Successful candidates are provided with open arena to share their experience with no limitations as we have only sought a few basic factual details from them.
In my own past journey, I have worked as School Lecturer in Rajasthan Govt. at Sujanpura, Jaipur. Thereafter, got selected in DANICS Service through Civil Services Examination, 2011. After completing training successfully, my first posting was at Delhi as SDM, Seemapuri Sub Division then posted for outlying segment as per policy and posted at Daman and Diu & Dadra and Nagar Haveli UTS. I had worked there in various capacities as Deputy Director - Social Welfare, Home, Personnel, Vigilance, Deputy Collector, Daman, CEO, District Panchayat Daman and Director of Education and Sports at Silvassa.
During this journey, I profoundly felt that newcomers need proper guidance and motivation. Hidden talent from various part of country must be part of Civil Services. I hope this compilation will always help you to provide basic idea and I am sure some enthralling real journeys will surely motivate you throughout your own pursuit.
Wish you all the best for your future endeavors. One line I would like to share:

"मेहनत की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को, 
उनके मुक़द्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते।"

RAKESH KHAIRWA, DANICS SDM,
Saket, South Delhi District

जब मैंने इस परीक्षा की तैयारी शुरू की तो ग्रामीण पृष्ठभूमि होने के कारण इस प्रकार की सूचना का अभाव था कि क्या पढ़ना है, कैसे अध्ययन करना है, तथा किन नोट्स की मदद लेनी है। कोचिंग से संबंधित कई शंकाओं का समुचित समाधान पाने तथा सही मार्ग तक पहुँचने में काफी समय लग गया।
इसके अलावा 2010 व उससे पहले मेरे आस-पास चयनित अधिकारियों की संख्या अधिक नहीं थी। अतः आस-पास किसी से मार्गदर्शन प्राप्त होने की संभावना भी कम ही थी, तब से यह विचार मेरे मन में था, जबकि वर्तमान समय में विशेषतः सूचना-प्रौद्योगिकी में क्रांति की वजह से स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब तो अभ्यर्थी ऑनलाइन लेक्चर, पाठ्य-सामग्री, ऑनलॉइन मॉक टेस्ट आदि दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त, जब आप कोई पत्रिका पढ़ते हैं तो सफल अभ्यर्थियों की सफलता की कहानी प्रायः प्रश्न-उत्तर की शैली में लिखी होती है। मेरे विचार में, सफल अभ्यर्थी कई अन्य बातों को भी साझा करना चाहते हैं, जो नए अभ्यर्थियों को रुचिकर लग सकती हैं। इसलिए मुझे लगा कि इनके मध्य एक सतत व व्यापक अंतराल है। मैंने इस अंतराल को भरने का भरसक प्रयास किया है। सफल अभ्यर्थियों को एक खुला मंच प्रदान किया है, ताकि वे अपने अनुभवों को बिना अवरोध के हमें बता सकें।
अपने अतीत की यात्रा में, मैंने सुजानपुरा, जयपुर में राजस्थान सरकार में ‘स्कूल लेक्चरर’ के पद पर कार्य किया। तत्पश्चात सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 2011 में ष्ठ्नहृढ्ढष्टस् परीक्षा में चयनित हो गया। ट्रेनिंग पूर्ण होने के पश्चात् मेरी प्रथम पोस्टिंग सीमापुरी सब-डिवीजन में एस.डी.एम. के पद पर हुई। उसके बाद मेरी पोस्टिंग दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली जैसे केन्द्र-शासित क्षेत्रों में हुई। वहाँ मैंने उपनिदेशक- समाज कल्याण, गृह, कार्मिक, सतर्कता, उप-निदेशक दमन, सी.ई.ओ., जिला पंचायत दमन तथा सिलवासा में शिक्षा व खेल निदेशक जैसे पदों पर कार्य किया।
इस यात्रा के दौरान, मैंने यह अनुभव किया कि नए अभ्यर्थियों को उचित मार्गदर्शन व प्रोत्साहन की जरूरत है। देश के विभिन्न प्रांतों में छिपी हुई प्रतिभाओं को भी सिविल सेवाओं का अंग बनाना चाहिए।
मुझे आशा है कि यह संकलन आपको इस परीक्षा के बारे में मूलभूत जानकारी उपलब्ध कराएगा तथा कुछ दिलचस्प वास्तविक यात्राएं इस उद्यम में आपको अवश्य ही प्रोत्साहित करेंगी।
मेरी तरफ से आपको उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ। 
एक पंक्ति में आपसे कहना चाहूँगा :
‘‘मेहनत की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को,
उनके मु़कद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते।’’
राकेश खैरवा, DANICS
एस.डी.एम. साकेत, दक्षिणी दिल्ली जिला