' पुरुषोत्तम ' (38 सर्ग), ' दृष्टि ' ( 22 सर्ग), ' कल्पांत ' ( 15 सर्ग), ' मुहम्मद ' ( 7 सर्ग), ' स्वर्गता ' ( 7 सर्ग), ' सार्वभौम ' ( संग्रह) इत्यादि के कवि; ' हिंदी साहित्य का वस्तुपरक इतिहास ', ' तुलसी-सर्वेक्षण ', ' विश्वकवि होमर और उनके काव्य ', ' प्रसाद : आलोचनात्मक सर्वेक्षण ' इत्यादि के आलोचक; ' कुछ खोता कुछ पाता गाँव ' ( आंचलिक) ,' ' बीसवीं सदी ' इत्यादि के उपन्यासकार; ' विश्व के सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ', ' दलित साहित्य ' इत्यादि के निबंधकार डॉ. रामप्रसाद मिश्र ने व्यंग्य, बाल साहित्य, संस्मरण, आत्मकथा, जीवनी, दैनंदिनी, धर्म, राजनीति इत्यादि विधाओं में स्फीत और मौलिक सर्जन किया है । हिंदू धर्म, हिंदी साहित्येतिहास और भारतीय संस्कृति पर उन्होंने चार ग्रंथों की रचना की है । उन्हें उ. प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' साहित्यभूषण पुरस्कार ', हिंदी अकादमी, दिल्ली का ' बाल साहित्य पुरस्कार ', ' कुंती गोयल इंटरनेशनल अवार्ड ' ( जोधपुर), ' मानस संगम साहित्य पुरस्कार ' ( कानपुर) इत्यादि तथा बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना का ' साहित्य-तपस्वी ' आदि अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं ।