सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः की भावना से संपूर्ण भारत वर्ष के पाँच लाख से अधिक लोगों में चिकित्सा एवं आरोग्य की अलख जगा चुके रामगोपाल दीक्षित न्यूरोथेरैपी, योग एवं ध्यान के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए आरोग्य पीठ की स्थापना की है।
इतना ही नहीं उन्होंने कैंसर, मोटापा, आर्थराइटिस, थायरॉइड, न्यूरोलॉजिकल, रक्तचाप प्रॉब्लम और आँखों पर चश्मा चढ़ने के कारणों के अलावा मंदबुद्धि बच्चों के पैदा होने की वजह और न्यूरोथेरैपी से उनके निदान के रास्ते निकाले हैं। न्यूरोथेरैपी को वे संसद् से लेकर न्याय परिसरों तक ले गए। दरअसल, उसके पीछे उनकी मेहनत और थेरैपी को लेकर उनका अटूट विश्वास है। उन्होंने न्यूरोथेरैपी एवं ध्यान चिकित्सा से हजारों लोगों को साध्य एवं असाध्य रोगों से रोग मुक्त किया है। उनके कार्य से प्रभावित होकर राष्ट्रपति भवन ने अपने प्रेसिडेंट एस्टेट क्लीनिक में उनकी चिकित्सा सेवाएँ लेनी शुरू की हैं। वे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के स्स्नष्ट, के माननीय सदस्य भी हैं। वे आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत एक लेखक, कवि एवं श्रेष्ठ स्वास्थ्य शिक्षक हैं।