रतन प्रकाश
बहुविध व्यक्तित्व। हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रहे, किंतु कई विषयों का अध्ययन किया। पूरा जीवन अध्ययन और संघर्ष के श्वेत-श्याम (रंग नहीं स्वाद) अनुभवों के साथ गतिशील तलाश जारी है। (नाटक) ‘दर्द-ए-ताज’, ‘फिर मिलेंगे’ एवं ‘सर्किट हाउस’ (उपन्यास) का उर्दू में अनुवाद हुआ। पिछले अड़तीस वर्षों में थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, जर्मनी, लंदन, फ्रांस, लॉस एंजेल्स, न्यूयॉर्क व हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में व्याख्यान हेतु आमंत्रित। राँची विश्वविद्यालय व बिहार सरकार के आर्थिक अनुदान से अनेक देशों की यात्रा। फिल्मों में लेखन के प्रति लगाव। वर्तमान में मुंबई कर्मभूमि है।
प्रोफेसर रतन प्रकाश के बहुआयामी व्यक्तित्व से ऐसी अनूठी पुस्तक की आशा कब से कर रहा हूँ। इस पुस्तक से फिल्म-लेखन को समझने में सुविधा होगी। आशा है, यह शोधपरक पुस्तक कई अनछुए मार्गों को आलोकित करेगी, चूँकि बॉलीवुड से हॉलीवुड तक की यात्रा और गहन अनुभव इसकी विशेषता है।
—डॉ. श्याम सिंह ‘शशि’
ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया
नई दिल्ली