रवि कुमार ने 1970 में इंजीनियरिंग की। इस दौरान (1969-70) वे विश्व के सबसे बड़े छात्र-संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के अखिल भारतीय महासचिव रहे।
राष्ट्रकार्य के लिए प्रवृत्त होकर उन्होंने लार्सन एंड टुब्रो में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद को त्याग कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक बनना तय किया और गुजरात के युवाओं व महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में कार्य प्रारंभ किया। वे 40 देशों में 200 से अधिक योग शिविर लगा चुके हैं। साथ ही 20 से अधिक देशों के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में, न्यूजीलैंड की रॉयल सोसायटी समेत, तथा सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं में वैदिक गणित पर 500 से अधिक कार्यशालाएँ आयोजित कर चुके हैं।
वर्तमान में वे हिंदू स्वयंसेवक संघ के अंतरराष्ट्रीय सह-संयोजक तथा विश्व अध्ययन केंद्र, मुंबई के परामर्शदाता हैं। अंग्रेजी, हिंदी व तमिल भाषा में समान अधिकार रखनेवाले रवि कुमारजी को भारतीय अर्थव्यवस्था विज्ञान, तकनीक, विकास, इतिहास, परंपरा, संस्कृति तथा साहित्य आदि विषयों पर उद्बोधन हेतु अनेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार व कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया जाता है। उन्होंने विविध विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं, जो अनेक भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर बहुप्रशंसित हुई हैं।