16 अक्तूबर, 1914 को जनमे श्री रूपनारायण स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक, रचनात्मक कार्यकर्ता एवं समाजवादी चिंतकों की श्रेणी में एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी रहे हैं। परतंत्र भारत में चार बार जेल की यातनाएँ भोगने के बाद स्वतंत्र भारत में भी अनेक बार उन्हें अपनी राजनीतिक एवं सामाजिक भूमिका के कारण जेल जाना पड़ा। आपत्काल के दौरान वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा गठित जन संघर्ष समिति के संयोजक रहे। उन्होंने पैंतालीस वर्ष तक अखिल भारतीय नशाबंदी समिति के महामंत्री पद पर अवैतनिक कार्य किया। वे दिल्ली में ‘रैन बसेरा’ अभियान के जनक रहे हैं। दिल्ली के सहकारी आंदोलन में उनका योगदान अद्वितीय रहा है। उन्होंने भारत में प्रचलित धर्मों के विषय में परस्पर जानकारी के अभाव की पूर्ति-स्वरूप तीन पुस्तकों ‘राष्ट्रीय एकता के प्रतीक : हमारे पर्व’, ‘भारतीय सहअस्तित्व के प्रतीक : हमारे विभिन्न धर्म’ और ‘भारतीय एकता के स्तंभ : हमारे आस्था स्थल’ की रचना की।