रोज केरकेट्टा
जन्म : 5 दिसंबर, 1940 को सिमडेगा (झारखंड) के कसिरा सुंदरा टोली गाँव में ‘खडि़या’ आदिवासी समुदाय में।
शिक्षा : हिंदी में एम.ए. और पी-एच.डी.।
कृतित्व : अध्यापन का पेशा। मातृभाषा खडि़या के साथ-साथ हिंदी भाषा-साहित्य को समृद्ध बनाने में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। झारखंड की आदि जिजीविषा और समाज के महत्त्वपूर्ण सवालों को सृजनशील अभिव्यक्ति देने के साथ ही जनांदोलनों को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करने तथा संघर्ष की हर राह में आप अग्रिम पंक्ति में रही हैं।
प्रकाशन : ‘खडि़या लोक कथाओं का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन’ (शोध-ग्रंथ), ‘प्रेमचंदाअ लुङकोय’ (प्रेमचंद की कहानियों का खडि़या अनुवाद), ‘सिंकोय सुलोओ, लोदरो सोमधि’ (खडि़या कहानी-संग्रह), ‘हेपड़ अवकडिञ बेर’ (खडि़या कविता एवं लोक कथा-संग्रह), ‘खडि़या निबंध संग्रह’, ‘खडि़या गद्य-पद्य संग्रह’, ‘जुझइर डांड़’ (खडि़या नाटक-संग्रह), ‘सेंभो रो डकई’ (खडि़या लोकगाथा), ‘स्त्री महागाथा की महज एक पंक्ति’ (वैचारिक लेख-संग्रह) एवं ‘बिरुवार गमछा तथा अन्य कहानियाँ’ (कथा-संग्रह)। इसके अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन तथा आकाशवाणी से भी सृजनात्मक विधाओं में हिंदी एवं खडि़या भाषाओं में सैकड़ों रचनाएँ प्रकाशित एवं प्रसारित।
संप्रति : सेवानिवृत्ति के पश्चात् स्वतंत्र लेखन एवं विभिन्न नागरिक संगठनों में सक्रिय भागीदारी। ‘आधी दुनिया’ का संपादन।
संपर्क : चेशायर होम रोड, बरियातु, राँची-834009 (झारखंड)