लेफ्टिनेंट जनरल (अ.प्रा.) एस.के. सिन्हा, पी.वी.एस.एम. का जन्म 1926 में हुआ। सन् 1943 में पटना विश्वविद्यालय से स्नातक; इसके बाद जाट रेजीमेंट में नियुक्ति, फिर 5-गोरखा राइफल्स में स्थानांतरण, कश्मीर लड़ाई (1947) एवं प्रथम भारत-पाक युद्ध (1947-48) से शुरू से अंत तक जुड़े रहे।
सेना में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान जनरल सिन्हा ने प्लाटून से लेकर फील्ड आर्मी तक सभी स्तरों पर कमान सँभाली। 1973 में उत्कृष्ट सेवा के लिए ‘परम विशिष्ट सेवा मेडल’ (पी.वी.एस.एम.) से अलंकृत; अंतिम नियुक्ति सेना उप-प्रमुख के रूप में हुई, जिसके बाद 1983 में सेना से त्यागपत्र दे दिया।
नेपाल में भारत के राजदूत के रूप में दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को नई ऊँचाई देने और नेपाल में लोकतंत्र की बहाली में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन् 1997 में असम के राज्यपाल के रूप में उन्होंने अद्भुत कार्य किया, जिससे ‘असम की मिट्टी के सच्चे सपूत’ कहलाए। 2003 में आतंकवाद ग्रस्त राज्य जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने, वहाँ भी उन्होंने राज्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए जो कुछ किया, वह इस कृतज्ञ राष्ट्र की स्मृति में अभी तक ताजा है।