पांडुरंग साने गुरुजी का जन्म 24 दिसंबर, 1899 को महाराष्ट्र के रत्नगिरि जिले के पालगढ़ कस्बे में हुआ। इनके पिताजी सदाशिव साने तथा माताजी यशोदाबाई साने थीं। उनके जीवन पर उनकी माँ की शिक्षा का बहुत प्रभाव पड़ा। शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने अमलनेर में ही शिक्षक के पद पर काम किया। यहीं पर छात्रावास की जिम्मेदारी सँभालते हुए उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली। उन्होंने छात्रावास में छात्रों को अपने जीवन में स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया। अमलनेर में उन्होंने तत्त्वज्ञान मंदिर में तत्त्वज्ञान की शिक्षा ली। सन् 1928 में उन्होंने ‘विद्यार्थी’ नाम से मासिक प्रारंभ किया। उन पर महात्मा गांधी के विचारों का बहुत प्रभाव रहा। वे खादी के कपड़े पहनते थे। सन् 1930 में उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया तथा स्वाधीनता की लड़ाई में सतत संघर्षशील रहे।
स्मृतिशेष :11 जून, 1950।