ईश्वर की आत्मकथा के लेऌखक या संकलनकर्ता सरल-मनोज एक सहज और सरल इनसान हैं, जो पिछले 22-23 सालों से ईश्वर, जीवन, ब्रह्मांड और प्रकृति के परस्पर संबंध को पुस्तकीय ज्ञान और रोजमर्रा के अनुभवों के मिश्रण से समझने का प्रयास करते आ रहे हैं। ईश्वर की आत्मकथा लिऌखने की प्रेरणा लेऌखक को 19 साल की आयु में उस समय मिली, जब अचानक ही उनके दिमाग में ईश्वर से जुड़ी एक कविता के अंकुर फूटे थे।
1973 में पैदा हुए सरल-मनोज इतिहास और जनसंचार विषयों में मास्टर डिग्री हासिल कर चुके हैं और आजीविका के लिए स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और संपादक के रूप में कार्य करते हैं।
अपने फेसबुक पेज के माध्यम से वे लगातार पाठकों से जुड़कर ईश्वर और आध्यात्मिकता पर आपसी संवाद और चर्चा करते रहते है