जन्म : 29 जून, 1936 को अमरावती (महा.) में।
शिक्षा : बी.ए. (सागर वि.वि.)।
हिंदी हास्य कवि-मंच के मूर्धन्य हस्ताक्षर, जिनकी उपस्थिति मात्र से ही श्रोता रोमांचित हो जाते थे और उनकी रचनाओं को सुनकर ‘वंस मोर, वंस मोर’ का शोर मचाते थे। संपूर्ण देश में काव्य-मंचों से काव्यपाठ। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, अभिनय, नृत्य, बाँसुरी तथा हारमोनियम बजाने में दक्ष। बचपन से ही नाट्य कला एवं फिल्मों के प्रति अद्भुत आसक्ति।
रचना-संसार : ‘चल-गई’, ‘बाजार का ये हाल है’, ‘हँसी आती है’ काव्य-संग्रह प्रकाशित। देश की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। इसके अलावा दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर रचना पाठ; कविता-भजन आदि के अनेक ऑडियो कैसेट प्रसारित। बीस से अधिक फिल्मों तथा इतने ही धारावाहिकों में जोरदार अभिनय, जिसे दर्शकों ने पसंद किया और खूब सराहा।
स्मृतिशेष : 29 अक्तूबर, 2007।
शिवाशीष शर्मा प्रसिद्ध हास्य कवि पं. प्रेमकिशोर ‘पटाखा’ के सुपुत्र हैं। शिवाशीष ने अपनी पहली पेंटिंग 10 साल की उम्र में बनाई थी। इसके बाद तो पेंटिंग उनकी नित्यप्रति की शक्ल बन गई। इनकी 18 पुस्तकें कार्टूंस पर तथा 3 पुस्तकें पेंसिल आरेखन पर पहले ही छप चुकी हैं। इनको चित्रकला संगम नई दिल्ली द्वारा ‘वर्ष का सर्वोत्तम कार्टूनिस्ट’ का पुरस्कार सन् 2007 में मिल चुका है। शिवाशीष ड्राइंग के विभिन्न माध्यमों का प्रयोग करते हैं जैसे—पेंसिल शेडिंग, तेल-चित्र, जल रंग चित्र, एक्रीलिक पेंटिंग, पोस्टर रंग ड्राइंग इत्यादि।