शालिग्राम
जन्म 21 मई, 1934—बिहार का प्रलयकारी भूकंप का साल—मुँगेर (अब खगडि़या) जिला अंतर्गत पचौत गाँव में। शैक्षणिक काल भागलपुर में बीता; किंतु साहित्यिक विरासत सहरसा की धरती पर मिली, जहाँ ‘पाही आदमी’ कहानी-संग्रह का प्रकाशन हुआ, जिसकी बाबा नागार्जुन, रेणु तथा वासुदेव शरण अग्रवाल ने भूरि-भूरि प्रशंसा की थी।
60 के दशक से ही देश की प्रायः सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ छपती रहीं। बिहार एवं दिल्ली के आकाशवाणी केंद्रों से वार्त्ताएँ तथा भिन्न-भिन्न विधा की रचनाओं का प्रसारण भी होता रहा। किसी भी प्रकार की सरकारी तथा गैर-सरकारी सेवाओं से दूर रहते हुए जीवन-यापन का साधन उनके गाँव का कृषि-फार्म रहा।
प्रकाशित रचनाएँ : ‘पाही आदमी’ तथा ‘नई शुरुआत’ (कहानी-संग्रह), ‘सांघाटिका’ तथा ‘आँगन में झुका आसमान’ (कविता-संग्रह), ‘किनारे के लोग’ तथा ‘कित आऊँ, कित जाऊँ’ (उपन्यास), ‘शालिग्राम की सात आंचलिक कहानियाँ’, ‘देखा दर्पण, अपना तर्पण’ आत्मकथा, ‘अटपट बैन’ (रिपोर्ताज-संग्रह), ‘पत्रों के द्वीप में’ साहित्यकारों के पत्र, ‘घोघो रानी कित्ता पानी’।
संपर्क : ‘शालिग्राम निवास’, अक्षरा, चित्रगुप्तनगर-वार्ड 30, सहरसा (पूर्व), पिन-852201