जम्मू में जनमी शशि पाधा का बचपन साहित्य एवं संगीत के मिले-जुले वातावरण में व्यतीत हुआ। इन्होंने जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी), एम.ए. (संस्कृत) तथा बी.एड. की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1968 में इन्हें जम्मू विश्वविद्यालय से ‘ऑल राउंड बेस्ट वीमेन ग्रेजुएट’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1967 में यह सितार वादन प्रतियोगिता में राज्य के प्रथम पुरस्कार से सम्मानित हुईं।
यू.एस.ए. आने के बाद इन्होंने नॉर्थ केरोलिना राज्य के चैपल हिल विश्व-विद्यालय में हिंदी भाषा का अध्यापन कार्य किया। शशिजी के तीन काव्य-संग्रह ‘पहली किरण’, ‘मानस मंथन’ तथा ‘अनंत की ओर’ प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष 2015 में इन्हें काव्य-संग्रह ‘अनंत की ओर’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कविता के साथ-साथ यह साहित्य की अन्य विधाओं में भी लिखती हैं। इनकी रचनाएँ देश एवं विदेश की मुख्य पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। इनके सहयोगी संकलन हैं—कविता अनवरत, लघुकथा अनवरत, पीर भरा दरिया (माहिया संग्रह), अलसाई चाँदनी (सेदोका संग्रह) एवं यादों के पाखी (हाइकु संग्रह)।
संप्रति वे अपने परिवार सहित अमेरिका के वर्जीनिया राज्य में रहते हुए साहित्य-सेवा में संलग्न हैं।