साहित्य, कला, संस्कृति एवं तकनीकी क्षेत्रों में अपनी लेखनी का चमत्कार दिखानेवाले प्रो. शिवानंद कामड़े मूलत: सिविल इंजीनियरी से संबद्ध हैं और हिंदी व्यंग्य के सुपरिचित हस्ताक्षर भी हैं।
प्रो. कामड़े के अब तक चार व्यंग्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें ‘एंड संस की परंपरा’ को ‘हिंदी रत्न’ पुरस्कार एवं श्रेष्ठ व्यंग्य संग्रह के रूप में ‘रत्न भारती’ पुरस्कार प्राप्त हुए। प्रो. कामड़े कार्टून कला के भी शिल्पी हैं। उनके अब तक तीन कार्टून संग्रह तथा अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
सन् 1998 में ‘हिंदी सेवी सम्मान’ से अलंकृत; सन् 1999 में केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद से ‘शब्द सम्राट्’ की उपाधि प्राप्त; ‘निर्माण तकनीकी’ कृति वर्ष 2001 के लिए श्रेष्ठ तकनीकी पुस्तक के रूप में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा संस्थान, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। आई.एस.टी.ई., नई दिल्ली द्वारा ‘श्रेष्ठ पॉलिटेक्निक टीचर्स अवार्ड’ 2000 से सम्मानित; छत्तीसगढ़ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की ओर से वर्ष 2003 में ‘डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र सम्मान’, वर्ष 2002 के लिए पांडुलिपि ‘छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता का उद्भव एवं विकास’ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार’ से पुरस्कृत।