शिशिर कुमार बोस (1920-2000) ने सन् 1957 में नेताजी रिसर्च ब्यूरो का शुभारंभ किया और मृत्युपर्यंत सन् 2000 तक इसके प्रेरणास्रोत रहे। भारत के स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अंग्रेजों द्वारा उन्हें लाहौर किले, लाल किले और लायलपुर जेल में कैद किया गया। स्वातंत्र्योत्तर भारत में बालरोग विशेषज्ञों में प्रमुख माने गए। अपने व्यस्त चिकित्सा-कार्यों में से समय निकालकर उन्होंने गैर-सामंती गतिविधियों की प्रमुख घटनाओं को संरक्षित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया और सही इतिहास लेखन को संभव बनाया।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुज श्री शरतचंद्र बोस और विभावती बोस के पुत्र शिशिर बोस ने जनवरी 1941 में सुभाष बाबू के भारत से विदेश गमन की योजना बनाने और इसके क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाई। वे इस ऐतिहासिक यात्रा के पहले चरण में कार चलाकर नेताजी को कलकत्ता से गोमोह ले गए। उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ और द्वितीय विश्व युद्ध में नेताजी की भूमिगत क्रांतिकारी गतिविधियों में भी भाग लिया। सितंबर 1945 में जेल से छूटने के बाद उन्होंने कलकत्ता, लंदन तथा वियना से अपनी चिकित्सीय पढ़ाई पूरी की। बाद में वे बॉस्टन के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में रॉकफेलर फेलो भी बने। 1995 में उन्होंने कृष्णा बोस से विवाह किया। उनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं।