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Smt. Saroj Bala

Smt. Saroj Bala

Saroj Bala had distinguished herself as an officer of the Indian Revenue Service. She holds degrees in Law and Political Science. A series of inexplicable events in the beginning of 21' century changed the course of her life. She plunged herself whole-heartedly into multi-disciplinary scientific research to ascertain about the historicity and antiquity of Vedas and Epics. She remained the Director of the Institute of Scientific Research on Vedas during 2009 to 2017. 
Her first book entitled "Historicity of Vedic and Ramayan Eras: Scientific Evidences from the Depths of Oceans to the Heights of Skies" was published in 2012. She is widely accepted as a genuine scientific researcher on the subject. 
G.J. University of Science & Technology, Hisar conferred the degree of Doctor of Science on her for this research. She has made presentations on the subject in several universities. Most of the TV channels have been telecasting her comments as an Expert on this subject. 
The research methodology adopted by her is extremely credible. She extracts all astronomical references sequentially from Vedas and Epics and then generates the corresponding skyviews using Planetarium softwares. Supporting evidences from archaeology and palaeobotany, geography and geology, oceanography and ecology, remote sensing and genetic studies are also beautifully woven into the story. 
Before the present publication 'Ramayan Retold with Scientific Evidences' her last book titled 'Ramayan ki Kahani, Vigyan ki Jubani' was released in October 2018. Currently she is working on "Mahabharat Retold with Scientific Evidences".

 

सरोज बाला भारतीय राजस्व सेवा की प्रतिष्ठित अधिकारी रही हैं। उन्होंने एल-एल.बी. के साथ राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। 21वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुई कई अकल्पनीय घटनाओं ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। वेदों और महाकाव्यों की ऐतिहासिकता तथा पुरातनता के बारे में पता लगाने के लिए उन्होंने पूरी तरह से बहु-अनुशासनात्मक वैज्ञानिक शोध में स्वयं को सराबोर कर लिया। उन्होंने आठ अलग-अलग वैज्ञानिक विषयों से संबंधित प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों से संपर्क किया और कई संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों का आयोजन किया। 2009 से 2017 के दौरान वेदों पर वैज्ञानिक शोध संस्थान की वे निदेशक रहीं।
उनकी पुस्तक ‘वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता : समुद्र की गहराइयों से आकाश की ऊँचाइयों तक के वैज्ञानिक प्रमाण’ 2012 में हिंदी तथा अंग्रेजी में प्रकाशित हुई। तत्पश्चात् उनको इस विषय पर एक वास्तविक वैज्ञानिक शोधकर्ता के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता रहा है।
गुरु जंभेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार से इस शोध के लिए उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस (ऑनोरिस कौजा) की डिग्री प्रदान की। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों के साथ-साथ अन्य प्रतिष्ठित मंचों पर इस विषय पर प्रस्तुतियाँ की हैं। अधिकांश टी.वी. चैनल इस विषय पर विशेषज्ञ के रूप में उनकी टिप्पणियाँ प्रसारित करते रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने इस पुस्तक की रचना हेतु उन्हें बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया।

 

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