उडि़या में जनमी डॉ. स्नेह मोहनीश की शिक्षा-दीक्षा छत्तीसगढ़ में हुई। वहीं रविशंकर विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर तथा पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। तदनंतर पत्रकारिता में डिप्लोमा प्राप्त किया।
कृतियाँ—‘रुकती नहीं नदी’, ‘कल के लिए’, ‘अंतिम साक्ष्य’ (उपन्यास); ‘बौर फागुन का’, ‘एक मसीहा की वापसी’, ‘कन्हाई चरण ढोल मर गया’, ‘जवा कुसुम’ (कहानी संग्रह)।
उपन्यास ‘अंतिम साक्ष्य’ सन् 1994-95 में ‘अखिल भारतीय पे्रमचंद पुरस्कार’ से पुरस्कृत। वर्ष 1998 में कहानी-संग्रह ‘जवा कुसुम’ भी ‘अखिल भारतीय प्रेमचंद पुरस्कार’ से पुरस्कृत। उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा ‘सौहार्द सम्मान’ से सम्मानित।