यह मेरी ममता से मातृत्व तक की यात्रा है। भारतीय होने के नाते मैं परवरिश से जुड़ी अपनी कुछ समय की कसौटी पर खरी व ठोस प्रणालियों से परिचित हूँ, वहीं आधुनिक महिला होने के कारण मेरा मानना था कि मुझे अपने बच्चे का लालनपालन अधिक विकसित व विज्ञानसिद्ध पद्धतियों द्वारा करना चाहिए। यह कोई परंपरागत रूप में स्वालंबी बनने से जुड़ी पुस्तक नहीं है। यह माँ के रूप में मेरी यात्रा का ईमानदार व गंभीर वर्णन है। आपके लिए आवश्यक नहीं कि मेरे परवरिश के इस मार्ग का अनुसरण करें। लेकिन मुझे आशा है कि इसे पढ़कर आपको यह तसल्ली अवश्य होगी कि इसमें आप अकेले नहीं हैं; बल्कि दूसरे लोग भी ऐसी ही परिस्थितियों का सामना
कर रहे हैं।