डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी एक प्रखर विचारक, लोकतंत्र के सजग प्रहरी एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष में अग्रणी, निर्भीक एवं स्वच्छ छविवाले राजनेता हैं। वे पाँच बार सांसद रहे; चंद्रशेखर सरकार में वाणिज्य, विधि व न्याय मंत्री तथा नरसिम्हा राव सरकार में श्रम-मानक आयोग के अध्यक्ष रहे।
डॉ. स्वामी ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। यह शोध कार्य उन्होंने नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री सायमन कुजनेट्स के सान्निध्य में किया; बाद में वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में ही प्रोफेसर नियुक्त हुए, जहाँ उन्होंने एक अन्य नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री पॉल सेम्युल्सन के साथ ‘सूचकांक (इंडेक्स नंबर) पर शोध प्रपत्र लिखे। वहाँ दस वर्षों तक अध्यापन के बाद भारत आकर आई.आई.टी. दिल्ली में प्रोफेसर नियुक्त हुए।
डॉ. स्वामी ने चीन सरकार से बातचीत करके कैलास मानसरोवर के द्वार खुलवाए और भारत से पहले तीर्थयात्री दल का नेतृत्व किया। रामसेतु मामले में उन्होंने न्यायालय में जाकर इसे तोडे़ जाने से रुकवाने में सफलता प्राप्त की।
डॉ. स्वामी ने आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लगभग 20 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का लेखन किया है, जो बहुचर्चित और बहुप्रशंसित हुई हैं।