प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग ने भारत में राजनीतिक कार्टून बनाने की परंपरा को समृद्ध किया, उसे नई ऊँचाई दी। उनकी कूची सत्ता के गलियारों में विचरनेवाले राजनीतिज्ञों पर एक प्रकार का नियंत्रण रखती थी। उनकी तीक्ष्ण और मारक व्यंग्य-क्षमता आमजन की समस्याओं को बड़ी प्रमुखता से उकेरती थी। नैशनल टी.वी. के जाने-पहचाने चेहरे सुधीरजी ने अनेक टी.वी. शो होस्ट किए; देश भर में अपने कार्टूनों की सफल प्रदर्शनियाँ लगाईं। उन्होंने अनेक युवा कार्टूनिस्टों को प्रेरित किया और कार्टून-कला के प्रति उनमें नया उत्साह पैदा किया।
सामाजिक सरोकारों के प्रति हमेशा सजग रहे सुधीरजी ने सन् 2002 में भुज में आए भूकंप व सन् 2004 में आई सुनामी के समय इन प्राकृतिक विभीषिकाओं के पीड़ितों की विषम स्थितियों को कार्टूनों के माध्यम से समाज के समक्ष प्रस्तुत किया। अनेक अवसरों पर उन्होंने अपने बनाए कार्टून और कैरीकेचर बेचकर जुटाए धन को समाजोपयोगी कार्यों में लगाया।
अपने चमकते-दमकते दीर्घ कॉरियर में सुधीरजी को अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित किया गया। सन् 2004 में वे ‘पद्मश्री’ से अलंकृत हुए। उन्होंने विश्व के अनेक देशों में लैक्चर दिए, वर्कशॉप आयोजित कीं और अपने कार्टूनों की प्रदर्शनियाँ लगाईं।
स्मृतिशेष : 6 फरवरी, 2016।