सुहैब इल्यासी
जो लोग 21वीं सदी में पैदा हुए हैं, वो भले सुहैब इल्यासी को अच्छे से न जानते हों मगर उससे पहले जनमे लोगों के लिए सुहैब इल्यासी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। रात में जी टी.वी., इंडिया टी.वी. या फिर दूरदर्शन पर जैसे ही उनके क्राइम शो ‘इंडियास मोस्ट वांटेड’ की धुन बजती थी, लोग समझ जाते थे कि आज फिर किसी गैंगस्टर की शामत आनेवाली है। सुहैब इल्यासी देश के पहले टेलेविजन क्राइम शो के जनक माने जाते हैं।
सभी के जीवनचक्र का पहिया घूमता है लेकिन जब सुहैब इल्यासी के जीवन का पहिया घूमा तो उन्होंने खुद को उसी जेल की सलाखों के पीछे पाया, जिनमें वह अपने कार्यक्रम की मदद से अन्य कथित अपराधियों को पहुँचाते आए थे। दहेज-हत्या के आरोप में सुहैब इल्यासी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई लेकिन जैसे सूर्य सच की तरह सुबह जरूर निकलता है, ठीक उसी तरह उनके जीवन का सच भी सामने आया और उच्च न्यायालय ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। सुहैब इल्यासी का अटूट विश्वास है कि विपदा, प्रतिकूल परिस्थिति और संघर्ष में डालकर ईश्वर केवल उन्हें सनातन शास्त्र श्रीमद्भगवद्गीता की अनंतरता प्रदान करना चाहते थे। इस पुस्तक का अधिकांश भाग उन्होंने तिहाड़ जेल में रहते हुए लिखा।