सुनील हांडा (हैदराबाद पब्लिक स्कूल, बीई-बिट्स पिलानी, एम.बी.ए.—आई.आई.एम., अहमदाबाद) पैकेजिंग और दवा उद्योग जगत् के एक स्थापित और सम्मानित उद्यमी हैं।विगत 19 वर्षों से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद में बतौर विजिटिंग फैकल्टी और एल.ई.एम. यानी उद्यमशीलता की प्रेरणा की प्रयोगशाला का कोर्स चलाते हैं।एक स्थायी कोष से मिले चंदे की मदद से उन्होंने ‘एकलव्य एजुकेशन फाउंडेशन’ (एकलव्य) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य पेशेवर, अभिनव और रचनात्मक दृष्टिकोण के जरिए भारत की स्कूली शिक्षा में आमूल परिवर्तन करना है। अहमदाबाद में एकलव्य एक K-12, आई.सी.एस.ई., अंग्रेजी माध्यम का को-एजुकेशन स्कूल चलाता है।हांडा मानते हैं कि शिक्षा एक बुनियादी ढाँचा है और देश के लिए इसका महत्त्व उतना ही है, जितना सड़क, बिजली और दूरसंचार का होता है। प्रगतिशील देशों ने शिक्षा के क्षेत्र में एक रणनीति के तहत दीर्घकालिक आधार पर निवेश किया है।