प्रो. सूरजभान सिंह प्रख्यात भाषाविद्, शिक्षाविद्। अंग्रेजी, हिंदी और भाषाविज्ञान विषयों में एम.ए., दिल्ली विश्वविद्यालय से भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. की उपाधि। जन्म 1936, देहरादून में। सन् 1988 से 1994 तक वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष। इससे पर्वू 1995 तक केंद्रीय हिंदी संस्थान में भाषाविज्ञान के प्रोफेसर और दिल्ली केंद्र के प्रभारी। 1989-90 में केंद्रीय निदेशालय के निदेशक का अतिरिक्त दायित्व। 1997 से सी-डैक (संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) में सलाहकार। सन् 1978 से 1983 तक चार वर्ष बुखारेस्त विश्वविद्यालय, रोमानिया में विजिटिंग प्रोफेसर; 1983 में हिंदी शिक्षण-सामग्री विशेषज्ञ के रूप में पेरिस विश्वविद्यालय, फ्रांस गए। 1996 में पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय, अमरीका में अतिथि विद्वान् जहाँ मशीन अनुवाद के लिए हिंदी का एक कंप्यूटर व्याकरण विकसित किया। बारह से अधिक पुस्तकें और सौ से अधिक शोध लेख देश-विदेश से प्रकाशित, दो पुस्तकें फ्रांस से और दो पुस्तकें रोमानिया से प्रकाशित। चर्चित पुस्तकें —‘हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण’ (1985), ‘हिंदी भाषा-संरचना और प्रयोग’ (1991), 'Manual de Hindi a I'usage de Francophones' (1986), paris University। सन् 1991 में हिंदी अकादमी, दिल्ली और 1992 में उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ से पुरस्कार-सम्मान प्राप्त। सन् 2000 में महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भारत सरकार के ‘आत्माराम पुरस्कार’ से सम्मानित।