कविता से साहित्यिक जीवन की शुरुआत । नई कविता के कवि के रूप में प्रसिद्धि मिली । सामान्य जनता का संघर्ष, विसंगतियों पर चोट, सौंदर्य की चेतना और प्रेम की गहराई कविताओं का आधार है । अब तक चार काव्य संकलन प्रकाशित हो चुके हैं । मध्यकाल, नई कविता और नवगीत की समीक्षा में भी चर्चित । सौंदर्य और सौंदर्यानुभूति, मध्यकाल के कवि, अष्टछाप के कवियों की सौंदर्यानुभूति और नवगीत समीक्षा की पुस्तकें हैं ।
ललित-निबंधकार के रूप में प्रतिष्ठित । लोक-संवेदना, लोक-विश्वास, मिथकों की नई व्याख्या और जिजीविषा की हिलोरों से भाषा की नई बुनावटवाले ये निबंध अब तक हिंदी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में छप चुके हैं । व्यक्ति के संबंधों और उसके भाव- अभावों को लेकर कुछ कहानियाँ लिखीं । दर्जनों संपादित ग्रंथों में दो विशिष्ट संपादन- ' वृंदावनलाल वर्मा समग्र ' ( सात खंड), ' लक्ष्मीनारायण मिश्र रचनावली ' ( छह खंड); ' बीच की रेत ' प्रथम उपन्यास है । उ.प्र. हिंदी संस्थान ने ' विद्याभूषण उपाधि ', हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने ' साहित्य महोपाध्याय ' तथा भारतेंदु अकादमी ने ' भारतेंदु मनीषा अलंकरण ' से सम्मानित किया है ।