बाल्यकाल से ही खेलों के शौकीन रहे विवेक आनंद एन.सी.सी. के योग्य कैडेट रहे और खूब प्रशंसा पाई। कॉलेज में बी.ए. (अर्थशास्त्र) करते हुए शतरंज के प्रति अभिरुचि जागी। यह पुस्तक पिछले दस वर्षों के उनके खुद के खेल और अनेक बेहतरीन खिलाडि़यों से पाए अनुभव का परिणाम है।