सन् 1857 के प्रसिद्ध जन विद्रोह के समय विलियम टेलर पटना का कमिश्नर था। पटना के विद्रोह को कुचलने में उसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। एक ही साथ वह दो चुनौतियों का सामना कर रहा था। एक तरफ उसे अंग्रेजी राज के खिलाफ उठ रही विद्रोह की चिंगारियों पर काबू पाना था, तो दूसरी तरफ पटना में हमवतन अंग्रेजों की सुरक्षा की जिम्मेवारी उसके कंधों पर थी। दुधारी तलवार पर चलते हुए उसने कई ऐसी गलतियाँ कीं, जिससे उच्च अंग्रेज पदाधिकारी उससे नाराज हो गए। फलस्वरूप उसे बीच में ही पदमुक्त कर दिया गया, जबकि वह सरकार से शाबाशी की उम्मीद कर रहा था। पदमुक्त होने के बाद भी विलियम टेलर पटना में बना रहा। इस दौरान वह खुद को दोषमुक्त करने की कोशिश करता रहा। कामयाबी नहीं मिलती देख वह सन् 1867 में इंग्लैंड चला गया। वहाँ जाकर उसने सन् 1857 के विद्रोह पर कई किताबें लिखीं। ‘पटना में 1857 की बगावत के तीन माह’ शीर्षक वृत्तांत उसने इसी पश्चात्ताप के क्षण में लिखा है।