ज़ियाउस्सलाम ‘फ्रंटलाइन में सह-संपादक हैं। वे एक नामचीन साहित्यिक एवं सामाजिक टीकाकार हैं। वेदों और कुरान के अध्ययन के जरिए वे समानता के पुल-निर्माण में शामिल हैं।
वे भारत के अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव (आई.एफ.एफ.आई.) की जूरी के सदस्य रहे और वर्ष 2008 में सिनेमा पर सर्वोत्तम लेखन के लिए जूरी का भी हिस्सा रहे। वे आई.एफ.एफ.आई. (विश्व सिनेमा) की प्रिव्यू कमेटी में भी शामिल रहे। उनकी किताब ‘दिल्ली 4 शोज : टॉकीज ऑफ येस्टरईयर’ जो दिल्ली के सिनेमाघरों पर आधारित अध्ययन है, को वर्ष 2016 में
जारी किया गया। उन्होंने वर्ष 2012 में ‘हाउसफुल : द गोल्डन एज ऑफ हिंदी सिनेमा’ नामक पुस्तक संपादित की।
बहुस्तरीय दृष्टिकोण अपनाते हुए वे साहित्यिक एवं सिनेमाई घटनाओं पर नियमित रूप से लिखते हैं। उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग और ब्रिटिश काउंसिल एवं अन्य द्वारा प्रकाशित संकलनों में भी योगदान किया है।
उनकी एक और पुस्तक ‘ऑफ सैफ्रन फ्लैग्स एंड स्कल कैप्स’ का हिंदी अनुवाद ‘भगवा बनाम तिरंगा’ हाल ही में प्रकाशित हुई। एकऔर पुस्तक‘वूमैन इन मस्जिद’ शीघ्र प्रकाश्य।