₹400
दुनिया में वजन घटाने के लिए सैकड़ों पुस्तकें और खान-पान के तरीके हैं, तो फिर एक और पुस्तक की जरूरत क्यों?, आयुर्वेद के जरिए वजन घटाने की जरूरत क्यों है? जरूरत है, क्योंकि आयुर्वेद में न केवल शरीर के साम्य पर ध्यान दिया गया है, बल्कि इसमें समग्र स्वास्थ्य के लिए मन के तीनों आयामों के संतुलन को भी बेहद महत्त्वपूर्ण बताया गया है। कई मामलों में मनोवैज्ञानिक कारणों से भी वजन बढ़ता है, इसलिए इनकी भी जानकारी महत्त्वपूर्ण है। लालच के कारण बहुत ज्यादा खाने लगना मानसिक विकार है। इस पुस्तक में वजन बढ़ाने में अहम भूमिका निभानेवाले मनोवैज्ञानिक कारकों की भी चर्चा की गई है। ये आपको अधिक खाने से होनेवाली समस्याओं के प्रति जागरूक तो करेंगे, लेकिन उनका समाधान नहीं देंगे। मन की गतिविधियों में साम्य सत्त्व (मन की पवित्रता और स्थिरता) कायम रखना चाहिए।
आयुर्वेदिक अभ्यासों और योग तथा अन्य अभ्यासों के अंतर्संबंधित शोध और संकलन से यह पुस्तक अन्य मौजूदा पुस्तकों और तरीकों से अलग है। वजन घटाने का मतलब अनचाहे वजन के बोझ से छुटकारा पाकर अधिक स्फूर्त और चुस्त महसूस करना है।
आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान पर आधारित यह पुस्तक लंबे समय से चली आ रही शरीर के वजन और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का सहज समाधान उपलब्ध कराएगी।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
प्राकथन—7
आभार—11
उद्धहरण—13
खंड-I
वजन घटाना
1. वजन बढ़ानेवाले कारक और उनसे निपटना—19
2. सात सप्ताह का पोषण कार्यक्रम—31
3. वजन घटाने की आसान विधियाँ—64
4. वजन घटानेवाले आयुर्वेदिक उपाय—70
5. शरीर के विशिष्ट हिस्सों का वजन घटाना—75
6. आकाश और अग्नि तवों में संतुलन—89
7. अधिक वजन के मनोवैज्ञानिक पहलू—94
खंड-II
वजन घटाने के कुछ विशिष्ट कारक
1. विशिष्ट लक्ष्य हासिल करने के लिए विभिन्न
अभ्यासों का समूह—101
2. वजन घटाने के दौरान शरीर का संरक्षण—105
3. अत्यधिक वजन की स्थिति में अभ्यास—109
खंड-III
वजन कायम रखना
1. स्वस्थ और संतुलित आयुर्वेदिक आहार—119
2. आयुर्वेदिक पोषण के आठ सुनहरे सिद्धांत—123
3. पंद्रह मिनट का योग कार्यक्रम—126
4. वजन बढ़ानेवाले कारकों से परहेज—131
5. वजन घटानेवाली औषधियाँ लेना—132
परिशिष्ट
पुस्तक में बताए कुछ शदों और उत्पादों का विवरण—134
भारत में प्रजनन जीवविज्ञान में डॉक्टरेट करने के बाद डॉ. विनोद वर्मा ने पेरिस यूनिवर्सिटी में न्यूरो बायोलॉजी की पढ़ाई कर दूसरी डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हैल्थ, बेथेस्डा (अमेरिका) और मैक्स-प्लांक इंस्टीट्यूट, फ्राइबुर्ग (जर्मनी) में उन्नत शोध किया। चिकित्सकीय अनुसंधान में एक फार्मास्यूटिकल कंपनी में अपने कॅरियर के शीर्ष पर उन्होंने महसूस किया कि स्वास्थ्य चिकित्सा के प्रति आधुनिक दृष्टिकोण मूल रूप से खंडित और अपूर्ण है।
डॉ. वर्मा औषधीय पौधों तथा दवाओं में उनके मिश्रण के बारे में अनेक शोध परियोजनाओं में लगी हैं। डॉ. वर्मा चरक आयुर्वेद विद्यालय तथा द आयुर्वेद हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन की संस्थापक व संचालक हैं। यह संस्था एक दातव्य न्यास है, जो ग्रामीण इलाकों में आयुर्वेदिक औषधियों और योग चिकित्सा के प्रोत्साहन तथा वितरण के लिए है। वे परंपरागत विज्ञान और औषधियों के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए गाँवों और हिमालय के दूरदराज के इलाकों में स्कूली बच्चों के बीच नियमित रूप से व्याख्यान देती हैं।
डॉ. वर्मा संस्कृत, हिंदी, पंजाबी, फ्रांसीसी, जर्मन और अंग्रेजी भाषाएँ जानती हैं।
इ-मेल : ayurvedavv@yahoo.com