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Azadi Banam Phansi Athva Kalapani (HB)   

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Author Raghunandan Sharma
Features
  • ISBN : 9789387980792
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Raghunandan Sharma
  • 9789387980792
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2021
  • 176
  • Hard Cover

Description

संवेदनशील मन के राष्ट्रबोध की छटपटाहट जब अभिव्यक्त होने को मचलती है तब आती है ‘आजादी बनाम फाँसी अथवा कालापानी’ जैसी कृति। भारतीयों के लिए काला पानी केवल शब्द या भू-खंड की संज्ञा नहीं है। वह भारत के हुतात्माओं के बलिदानों की, ब्रिटिश साम्राज्यवाद की क्रूर यातनाओं की कहानी का जीवंत इतिहास है। निस्संदेह अहिंसक सत्याग्रह ने सामान्य जन के मन में स्वतंत्रता की ज्वाला को प्रज्वलित रखा लेकिन उन हुतात्माओं के बलिदानों की अनदेखी नहीं की जा सकती, जो हँसते-हँसते भारतमाता को स्वतंत्र कराने का सपना लेकर फँसी के फंदों पर चढ़ गए और मरते-मरते भी ‘वंदे मातरम्’ का जयघोष करते रहे। इस रक्तरंजित इतिहास का बार-बार स्मरण वही कर सकते हैं जिनके हृदयों ने राष्ट्रबोध को आत्मसात कर लिया है।
इस कृति के रचनाकार श्री रघुनंदन शर्मा उस आत्मबोध को कहते ही नहीं, स्वयं जीते भी हैं।
देश की नई पीढ़ी स्वतंत्रता संघर्ष की अनेक गाथाओं से अपरिचित है। प्रस्तुत पुस्तक उस इतिहास को सीधी सरल भाषा में उन तक पहुँचा देगी। यह इसलिए भी आवश्यक है कि हम उस पराधीन मानसिकता से मुक्त हों, जिसके कारण यह भुला दिया गया है कि भारत राजनीतिक रूप से भले ही पराधीन रहा हो, पर उसने स्वतंत्रता के मूल्य को संरक्षित रखने के लिए बडे़-से-बड़ा बलिदान देने की आत्म सजगता को बनाए रखा।

—कैलाशचंद्र पंत
(मंत्री संचालक म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति)

 

The Author

Raghunandan Sharma

रघुनंदन शर्मा
मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील के ग्राम सुजानपुरा में 7 अप्रैल, 1946 को जन्म। ज्येष्ठ भ्राता के मार्गदर्शन में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण की। शैक्षणिक काल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आने से देशभक्ति एवं सेवा, समर्पण के संस्कार स्वतः जीवन में उतरते गए। कई वर्षों तक पूर्णकालिक सेवाव्रती रहकर आपातकाल में मीसा में निरुद्ध व्यक्तियों के परिवारों की सेवा में संलग्न रहे। सन् 1977 में विधायक निर्वाचित हुए तथा कई शासकीय निकायों में दायित्व सँभाला। 35 वर्ष तक भारतीय जनता पार्टी के पूर्णकालिक संगठन मंत्री बनकर विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। सन् 2008 में राज्यसभा सदस्य बने; 2014 में सांसद के कार्यकाल की समाप्ति के पश्चात् 2019 तक लोकसभा सचिवालय में मानद सलाहकार रहे।
नियमित लेखन किया, ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित, अनेक लेख प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

 

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