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स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भारतीय जन-मानस को उद्वेलित कर देनेवाले प्रेरक गीत, .गज़ल एवं कविताएँ रची गईं। ये गीत-.गज़लें-तराने आज़ादी के दीवानों ने स्वयं रचे। वीर हुतात्माओं ने कारावास की भीषण यातनाओं को सहते हुए, फाँसी के फंदे को चूमते हुए इन गीतों को गुनगुनाया और हँसते-हँसते मृत्यु का आलिंगन कर लिया। प्रस्तुत संकलन में देशप्रेम और मातृभूमि के लिए सेवा-समर्पण-त्याग की तान छेड़नेवाले तराने हैं; ऐसे गीत भी संकलित हैं, जिन्हें भयभीत ब्रिटिश सरकार ने ज़ब्त कर लिया था। आज़ादी की लड़ाई के दौर में ये तराने संजीवनी शक्ति का काम करते रहे। आज़ादी के ये अमर गीत देशाभिमानी एवं निर्भीक कवियों के हैं; स्वातंत्र्य समर में अपने आपको सहर्ष समर्पित कर देनेवाले वीरों के हैं। संघर्ष के दौरान देशवासियों तक स्वाधीनता का संदेश पहुँचाने के लिए, उन्हें चैतन्य करने के लिए रचनाकार इन्हें अखबारों, परचों और पत्रिकाओं आदि के माध्यम से जनता तक पहुँचाते रहे थे।
जन्म : 4 दिसंबर, 1944, छिंदवाड़ा ( म. प्र.) ।
शिक्षा : एम. काम., एम. ए., एल .एल. बी., बी .जे., राष्ट्रभाषा रत्न ।
कृतित्व : ' मुड़ाओ मूँछ लगाओ पूँछ ' ( व्यंग्य संग्रह), ' खरी - खरी ' ( व्यंग्य संग्रह), ' डॉ. आंबेडकर चित्रमयी जीवनी ', ' मुक्तागिरी : एक तीर्थ क्षेत्र ', ' जड़हीन दरख्त ' ( कविता संग्रह) । पाँच पुस्तकें संपादित ।
इसके अलावा देश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में लेख, निबंध, शोध - निबंध, व्यंग्य लेख, व्यंग्य कविताएँ? क्रांतिवीरों की जानकारी आदि प्रकाशित । देश के कुछ अखबारों में पिछले अनेक वर्षों से नियमित स्तंभ । प्रतिनिधि हिंदी पत्रिका ' खनन भारती ' के 22 वर्षों तक संपादक रहे ।
सम्मान-पुरस्कार : राष्ट्रीय हिंदी अकादमी ( रूपांबरा), अ. भा. दलित साहित्य अकादमी, अस्मिता दर्शी साहित्य अकादमी, भारतीय संस्कृति संस्थान, मध्य प्रदेश साहित्य सम्मेलन, भारत सरकार के मंत्रालय, अनेकों साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, खेलकूद संस्थाओं द्वारा अनेक बार सम्मानित ।
संप्रति : केंद्रीय हिंदी सलाहकार सदस्य दूरसंचार विभाग, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार । कुछ पत्रिकाओं व समाचार - पत्र के सलाहकार ; स्वतंत्र लेखन ।