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यह पुस्तक ‘बात बोलेगी, हम नहीं’ समय से सहज, सार्थक और संदेशपरक संवाद ही नहीं है, इससे कहीं ज्यादा है। पुस्तक में 62 लेख संकलित किए गए हैं। ज्यादातर लेख स्वतंत्र हैं, यानी विषय और संदर्भ की दृष्टि से उनका दूसरे लेखों से संबंध नहीं है। इसी अर्थ में वे स्वतंत्र लेख की श्रेणी में आते हैं। लेकिन कुछ लेख अपवाद भी हैं; जैसे चीन से भारत का जो सीमा विवाद है, उस पर तीन लेख हैं। इनका संबंध सीमा विवाद की घटना के क्रम और उतार-चढ़ाव से है। इसी तरह हिंदी पर दो लेख हैं। दोनों का प्रसंग अलग है। बुजुर्गों की समस्याओं पर दो लेख हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश खबरों में इसलिए छाए रहे, क्योंकि एक अनहोनी घटना उनके साथ हुई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति में उनके साथ मार-पीट उन लोगों ने की, जो साफ-सुथरी राजनीति के वादे से सत्ता में आए थे। ऐसी घटना के केंद्र में बने हुए अंशु प्रकाश पर दो लेख स्वाभाविक ही हैं। वे घटनाक्रम पर आधारित तथा दृष्टिपरक हैं।
यह पुस्तक जहाँ राजनीतिक इतिहास को अपने में समेटे हुए है, वहीं जीवन के हर क्षेत्र पर एक दृष्टिपात कर स्थायी महत्त्व की टिप्पणियों से भरी-पूरी है। इस पुस्तक के हर लेख में प्रवहमान भाषा है। इसमें विचारों की रचना का एक संसार है; मानवीय भावनाओं का संयोग और संतुलन है। इससे पुस्तक में नैयायिक बुद्धि का प्रभाव परिलक्षित होता है, जो सत्य के एक पहलू को सामने लाता है। सामयिक विषयों पर लेखन की ऐसी विधा अनुकरणीय है।
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अनुक्रम
पुरोकथन —Pgs. 5
आभार —Pgs. 10
1. क्रिकेट में बेटियों का दमदार प्रदर्शन —Pgs. 15
2. भारत से निकलेंगे पेले-माराडोना —Pgs. 19
3. तिरंगे के बाद अब नहीं होगा कोई और झंडा —Pgs. 24
4. पश्चिम बंगाल में बवाल, बेपरवाह सरकार —Pgs. 28
5. भारत-चीन विवाद : दलाई लामा चुप क्यों? —Pgs. 32
6. क्यों ब्रिक्स देश नहीं लताड़ते चीन को —Pgs. 36
7. भारत की शक्ति के आगे नतमस्तक हुआ धूर्त चीन —Pgs. 41
8. क्यों खास है मोदी की इजराइल यात्रा —Pgs. 46
9. भारत-इजराइल संबंध अब मुसलिम कूटनीति दबाव से मुक्त —Pgs. 51
10. अल्ला का कानून या मुल्ला का? —Pgs. 56
11. खतौली रेल हादसा : क्या मिलेगी देश को सीख? —Pgs. 60
12. कुशीनगर जैसे हादसे थमेंगे कैसे —Pgs. 65
13. डेरों का सच —Pgs. 70
14. देश से क्यों लेफ्ट होता आउट —Pgs. 77
15. अभी कितने और प्रद्युम्न जैसे फूल मसले जाएँगे —Pgs. 81
16. कब तक कुचला जाता रहेगा सड़कों पर पैदलयात्री —Pgs. 86
17. क्यों न चले काहिल बाबुओं पर चाबुक —Pgs. 91
18. गौरी का कत्ल कांग्रेस के कर्नाटक में, दोषी मोदी सरकार कैसे? —Pgs. 96
19. हिंदी के अनाम-अज्ञात सेवक —Pgs. 100
20. रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी तार —Pgs. 106
21. प्रदूषण मुक्त पर्व कब मनाएँगे हम —Pgs. 111
22. मुल्ला और ईशनिंदा ले डूबेंगे पाक को —Pgs. 116
23. खाकी से बेखौफ अपराधी —Pgs. 120
24. विदेशी पर्यटक सिर्फ आगरा का रुख ही क्यों करें —Pgs. 125
25. आतंकियों-अपराधियों से क्यों न हो सख्ती —Pgs. 131
26. घर के बूढ़े-बुजुर्गों की मत करो अनदेखी —Pgs. 136
27. पाई-पाई को क्यों मोहताज हो गए बुजुर्ग —Pgs. 142
28. चाबहार बंदरगाह के श्रीगणेश से उड़ी पाक की नींद —Pgs. 147
29. कब सुधरेंगे हमारे नगर निकाय? —Pgs. 151
30. फौजी क्यों दे रहा है अपनी जान —Pgs. 155
31. कौन है असली हत्यारा गरीब सफाईकर्मियों का —Pgs. 159
32. योगी चले लाने निवेश —Pgs. 164
33. घूमें राहुल-प्रियंका और खर्च उठाएँ करदाता? —Pgs. 169
34. रेल के विकास बिना राष्ट्र का विकास कैसा? —Pgs. 175
35. आसियान सम्मेलन : वक्त चीन को औकात बताने का —Pgs. 179
36. जिन्हें स्कूल की प्रार्थना में दिखता है हिंदुत्व —Pgs. 183
37. डावोस में मोदी के हिंदी में बोलने का मतलब —Pgs. 188
38. क्यों न हिंदी बने यू.एन. की आधिकारिक भाषा? —Pgs. 194
39. नेताजी से क्यों भयभीत रहते थे नेहरूजी —Pgs. 199
40. बॉलीवुड क्यों मानता है आई.एस.आई. को भारत का मित्र —Pgs. 204
41. लिट-फेस्ट में क्यों मिले देश विरोधियों को मंच —Pgs. 209
42. कौन फैला रहे हैं घृणा और असहिष्णुता के बीज? —Pgs. 213
43. अराजकता का पर्याय बनती ‘आप’ सरकार —Pgs. 218
44. दिल्ली में राष्ट्रपति शासन में अब देर क्यों —Pgs. 222
45. धर्म के आधार पर सेना को बाँटते ओवैसी —Pgs. 227
46. बनो गुजरात और महाराष्ट्र सरीखा —Pgs. 232
47. कब छेड़ेंगे नशे के सौदागरों के खिलाफ जंग —Pgs. 236
48. मत छोड़ो सेना के जासूसों को —Pgs. 241
49. वक्त आ गया है पाकिस्तान को औकात बताने का —Pgs. 246
50. कहाँ गई भारतीय नारी की अनुकरणीय छवि —Pgs. 251
51. दुर्घटनाओं की रोकथाम के कारगर उपाय क्यों नहीं —Pgs. 255
52. क्यों विलुप्त होते जा रहे हैं वामपंथी? —Pgs. 260
53. अब तो बंद करो भारत बंद —Pgs. 264
54. क्यों मरने जाते, देश के बाहर? —Pgs. 269
55. इसीलिए तो भारत के रत्न हैं तेंदुलकर —Pgs. 274
56. कौन कर रहा गुमराह दलित युवा शक्ति को? —Pgs. 279
57. क्यों नहीं बचे यूपी-बिहार में चोटी के कॉलेज —Pgs. 286
58. जे.एन.यू. में क्यों तार-तार हो गई गुरु-शिष्य परंपरा —Pgs. 290
59. बीमार मेडिकल क्षेत्र का कौन करेगा इलाज —Pgs. 294
60. देशद्रोहियों की अब खैर नहीं —Pgs. 299
61. भारत के पीछे क्यों आ रहे इसलामिक देश —Pgs. 304
62. भारत-चीन लगते गले, सीख ले पाक —Pgs. 309
राजनीतिशास्त्र से स्नातक श्री सिन्हा ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की। उन्होंने सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में संवाददाता की भूमिका निभाई। सन् 1974-75 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले छात्र आंदोलन पर ‘जन आंदोलन’ पुस्तक लिखी। उन्होंने 1974 में ‘सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज इंडिया’ की स्थापना की। एक निजी सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, यूरोप और चीन सहित कई देशों का भ्रमण किया और कई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे। 1999-2004 के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंबधन के शासनकाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान व तकनीकी एवं समुद्री विकास मंत्रालय में सुरक्षा सलाहकार रहे। बहुआयामी प्रतिभा के धनी रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने देहरादून में ‘द इंडियन पब्लिक स्कूल’ की स्थापना की। वे कई सामाजिक और कल्याणकारी संस्थाओं के अध्यक्ष हैं। फरवरी 2014 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए।