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श्रीमती अनिला मुद्गल द्वारा लिखित प्रथम उपन्यास 'बब्बाजी की डोर’ उनकी दादी के जीवन पर आधारित है।
'बब्बाजी की डोर’ एक ऐसी नारी के जीवन की कहानी है, जिसे वक्त व हालात ने अनेकों कष्ट दिए। बँटवारे की त्रासदी हो या अल्प आयु में वैधव्य, ऐसी अनकों कठिनाइयाँ उन्हें अपने पथ से विचलित न कर सकीं। बब्बा ने प्यार व विश्वास की मजबूत डोर के सहारे सबके दिलों पर राज किया।
बब्बा के जीवन की मर्मस्पर्शी घटनाओं व परिवार के सदस्यों के जीवन का ताना-बाना बुनती यह एक माॢमक रचना है। एक पठनीय उपन्यास।
जन्म : 25 जून, 1965, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)।
शिक्षा : बी.एड. (अन्नामलाई यूनिवर्सिटी), एम.ए. (राजनीति शास्त्र), जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर।
गृहिणी, स्वतंत्र लेखन, साहित्य-दर्शन, जड़ी-बूटी, औषधि विज्ञान व प्राकृतिक चिकित्सा में रुचि।
प्रकाशन : विभिन्न समाचार-पत्रों में बाल कहानियाँ एवं लघु कथाएँ प्रकाशित। प्रथम उपन्यास ‘बब्बाजी की डोर’।