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बच्चनजी हिंदी काव्याकाश के एक जाज्वल्यमान नक्षत्र थे। कवि के रूप में तो वे सफल और सुख्यात थे ही, व्यक्ति के रूप में भी अत्यंत सहृदय और उदार थे।
अपने जीवन में उन्होंने ढेरों पत्र लिखे। बच्चनजी के द्वारा उमाशंकर वर्मा को लिखे गए इन पत्रों में अधिकतर निजी बातें ही हैं; किंतु कभी-कभी इनमें साहित्यिक, राजनीतिक एवं अन्य विषयों की भी चर्चा हुई है, जिससे बच्चनजी की रुचियों व मनोभावों पर प्रकाश पड़ता है और उनके व्यक्तित्व-कृतित्व के कुछ अन्य पहलू भी उजागर होते हैं।
इस संग्रह में वर्ष 1948 से 1992 तक की लगभग आधी सदी का उनका न सिर्फ अध्ययन, मनन-चिंतन वरन् जीवन ही सूक्ष्म रूप से प्रतिबिंबित है और इस दृष्टि से यह पत्र-संग्रह साहित्य-प्रेमियों तथा अनुसंधित्सुओं के लिए अवश्य ही महत्त्वपूर्ण व उपादेय सिद्ध होगा।
जन्म : 9 जुलाई, 1956 को भागलपुर (बिहार) में।
प्रथम सुपुत्र स्व. श्रीमती दमयंती वर्मा (माता) व स्व. श्री उमाशंकर वर्मा (पिताजी)।
शिक्षा : एम.ए. (समाजशास्त्र) तथा एल-एल.बी.—पटना लॉ कॉलेज (पटना विश्वविद्यालय)।
कृतित्व : 16 फरवरी, 1982 को बिहार राज्य बार काउंसिल से अधिवक्ता के रूप में निबंधित होने के बाद हाईकोर्ट में वरीय अधिवक्ता। श्री कृष्णा प्रसाद सिंह के साथ वकालत की शुरुआत। उसी वर्ष 26 जून को सुनीला के साथ विवाह। साहित्यिक संस्था ‘कामायनी’ के सचिव के रूप में अनेक कवि-सम्मेलनों का आयोजन किया। जे.पी. आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण काफी समय तक तत्कालीन जनता पार्टी में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी। बाद में राजनीति छोड़कर वकालत के साथ पत्रकारिता शुरू।
दैनिक ‘नवभारत टाइम्स’ और ‘आज’ के बाद 1996 से ‘हिंदुस्तान’, पटना में विधि संवाददाता के रूप में कार्यरत। आकाशवाणी व दूरदर्शन के लिए भी काम करने का व्यापक अनुभव।
‘धर्मयुग’ व विभिन्न प्रसिद्ध पत्रिकाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित।
संपर्क : 23, एसजी टॉवर, न्यू पुनाईचक, पटना-800023।
फोन : 9431094604