जैसे-जैसे भौतिकवाद की चकाचौंध में मानव मशीन बनता जा रहा है और अस्वस्थ एवं तनावमय जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहा है वैसे-वैसे शांतिपूर्ण, स्वस्थ और तनावरहित जीवन जीने के लिए पूरा विश्व तेजी से योग की ओर आकृष्ट हो रहा है ।
व्यावहारिक जीवन में पति-पत्नी, पिता- पुत्र, भाई-बहन इत्यादि बाह्य संबंध व साधन हैं । इनके विपरीत शरीर, मन, बुद्धि, अहंकार आदि अंतरंग साधन हैं । बाहरी साधनों की अपेक्षा आंतरिक साधन जीवन के अधिक निकट हैं । इन दोनों साधनों के संघर्ष में सदैव आंतरिक साधनों की विजय होती है । इन आंतरिक साधनों को वृत्तियों (विषयों) से दूर करने को ही ' योग ' कहा जाता है ।
शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए शिक्षार्थियों का योग मार्ग में उतरना अनिवार्य समझते हुए प्रस्तुत पुस्तक का लेखन किया गया है । इस पुस्तक को विशेष रूप से बच्चों के लिए तैयार किया गया है । योग क्या है, योग का मन व शरीर पर प्रभाव तथा योगासनों का परिचय, समयावधि एवं लाभादि को बहुत सरल व सुगमतापूर्वक बताया-समझाया गया है । पुस्तक की एक प्रमुख विशेषता है इसमें दिए गए चित्र । लेखक जो भी बताना चाहता है, वह सब चित्रों के माध्यम से साकार हो उठता है । हमें पूर्ण विश्वास है, यह पुस्तक पाठकों को नीरोग व प्रसन्न रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देगी ।
डॉ. अनूप गौड़ ग्यारह वर्ष की अल्पायु में आसनों के माध्यम से योग मार्ग में प्रविष्ट हुए । गत चौबीस वर्षों से योग - साधना निरंतर जारी ।
योग्यता : एम. ए. ( अंग्रेजी) के पश्चात् योग का एक वर्ष का डिप्लोमा, तदंतर योग विषय से एम. ए. व पी - एच. डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं । आप हिंदुत्व के प्रखर पुरोधा व ओजस्वी वक्ता तथा प्राकृतिक चिकित्सा व यौगिक चिकित्सा के मर्मज्ञ हैं; साथ ही शौर्य - शास्त्र (Martialarts) के मूर्धन्य विद्वान् भी हैं ।
संपर्क -सूत्र :
250 / 20, दयानंद नगरी,
ज्वालापुर, हरिद्वार - 249407