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बच्चों का सर्वांगीण विकास तभी संभव है, जब टीम-भावना से काम करने का गुण उनमें हो। टीम के बिना लीडरशिप संभव नहीं होती। बच्चों का साथ-साथ खेलना, उनकी क्लास, पिकनिक और दोस्तों से मिलना-जुलना इसी टीम-भावना का परिणाम है। यदि टीम-भावना का विकास हो तो बच्चे बड़े होकर काबिल बनते हैं। अकेले काम करने की आदत बच्चों के विकास में रुकावट डालती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे हर काम मिल-जुलकर करें। बच्चे उसी को रोल मॉडल समझने लगते हैं, जो उन्हें बार-बार दिखता है। ऐसे में बच्चे पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों प्रकार के रोल मॉडल्स से प्रभावित होते हैं। तब बड़ों की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को सही-गलत का चुनाव करना सिखाएँ, उन्हें गाइड करें। आखिर हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्ïचा सफल नागरिक बने और जीवन में सफलता प्राप्त करे।
एक सफल लीडर के लिए सबसे जरूरी गुण है—सबको साथ लेकर चलने की क्षमता। इस गुण का विकास करने के लिए पुस्तक में अनेक व्यावहारिक उदाहरण दिए गए हैं, जिनसे प्रेरित होकर बालक अपनी क्षमताओं और प्रतिभा का विकास कर पाएँगे; उनका व्यक्तित्व निखरेगा और वे जीवन में सफल हो सकेंगे।
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक बिंदुओं की एक प्रैक्टिकल हैंडबुक है यह पुस्तक— 'बच्चों को बनाएँ लीडर’ ।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी., बी.जे.एम.सी.; ‘तारसप्तक के कवियों की बिंब योजना’ विषय पर एम.ए. का लघु शोध, ‘साठोत्तरी हिंदी कविता का समाज सापेक्ष अध्ययन’ विषय पर पी-एच.डी.।
कृतित्व : ‘नवभारत टाइम्स’, ‘हिंदुस्तान’, ‘दैनिक भास्कर’, ‘बिंदिया’ के लिए सक्रिय लेखन। ‘गृहलक्ष्मी’ पत्रिका के संपादक के रूप में कार्य। आकाशवाणी के रामपुर, अल्मोड़ा, भोपाल, दिल्ली केंद्रों से रचनाओं का प्रसारण। अतिथि शिक्षिका के रूप में भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली और दिल्ली विश्वविद्यालय के अंबेडकर कॉलेज में अध्यापन। सामाजिक मुद्दों, समाज-संस्कृति, पेरेंटिंग, स्वास्थ्य, कला, फैशन-ब्यूटी और लाइफ स्टाइल पर 3000 से अधिक लेख प्रकाशित।
सम्मान : एम.ए. हिंदी में सर्वाधिक अंकों के लिए स्वर्णपदक, कला संकाय में सर्वाधिक अंकों के लिए विशिष्टता प्रमाण-पत्र, ‘गीतांजलि माकन पुरस्कार’, यूनिसेफ द्वारा सामाजिक मुद्दों पर लेखन के लिए पुरस्कार।
संप्रति : वागीशा कंटेंट प्रोवाइडर कंपनी की सी.ई.ओ. एवं अपराजिता डॉट ओ.आर.जी. की संपादक।