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प्रस्तुत कहानी-संग्रह में कुल इक्कीस कहानियाँ संगृहीत हैं। प्रत्येक कहानी जीवंत अनुभव है। इनके संदर्भ हैं— व्यक्ति, परिवार और समाज। ये एक-दूसरे की रचना करते हैं और एक-दूसरे का निर्माण भी। यों तो विश्व के सभी समाजों में परिवार महत्त्वपूर्ण होता है, पर भारतीय यनज में इसका योगदान अछा है । पइरवार में परस्पर सहयोग अथवा असहयोग की स्थितियाँ होती हैं, जो परिवार का ग्हन-सहन सँवारती और बिगाड़ती हैं, जिनके प्रभाव से व्यक्ति और समाज प्रभावित होते ही हैं । अतएव परिवार का महत्त्व सर्वाधिक है । परिवार के सदस्य एक-दूसरे से कुछ अपेक्षाएँ रखते हैं, जिनकी पूर्ति से आनंद का सर्जन होता है और पूरा न होने पर पीड़ाएँ जन्म लेती हैं । भारतीय परिवारों का पारंपरिक परिवेश आज बदल रहा है । बदलते परिवेश में परिवार के सदस्यों के परस्पर ' रिश्ते ' भी बदल रहे हैं । प्रस्तुत हैं उन्हीं बदलते हुए रिश्तों की अनूठी और हृदयस्पर्शी कहानियाँ । इन्हें पढ़कर पाठकगण प्रेम, विश्वास, संबंधों के यथार्थ और भावनाओं के आलोड़न-विलोड़न का दिग्दर्शन करेंगे ।
प्रतिबद्धता शिक्षा तथा सामाजिक कार्य-दोनों क्षेत्रों में बराबर है । उन्होंने स्थानीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अनुभव प्राप्त किया है । अब तक उन्होंने लगभग सौ पुस्तकों का लेखन किया है, जिनमें पाठ्य पुस्तकें, व्याकरण की पुस्तकें और सामाजिक विषयों से संबंधित पुस्तकें सम्मिलित हैं । हिंदी और अंग्रेजी में शिक्षा एवं सामाजिक विषयों पर सौ से अधिक लेख, कहानी, कविता और गीत विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित । ' चुभते काँटे ' कहानी-संग्रह तथा ' मन की बात ' दोहा-शतक के रूप में प्रकाशित । ' शिशु गीत ' तथा ' कथा गीत ' आकाशवाणी से प्रसारित । अनेक कहानियाँ पाठ्य पुस्तकों में सम्मिलित ।