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किसी-न-किसी से तुमने ‘रामायण’ की कहानियाँ तो अवश्य ही सुनी होंगी। इन कहानियाँ में राम, सीता, रावण, विभीषण जैसे अनेक पात्रों ने अपनी-अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। इसी ‘रामायण’ में एक मुख्य पात्र ‘हनुमान’ ने ही माता सीता का पता लगाकर श्रीराम को लंका पर विजय दिलाई थी। इतना ही नहीं, भक्त हनुमान अपने स्वामी श्रीराम की भक्ति में हमेशा ही दृढ़ संकल्प रहे। ‘रामायण’ में इनके बाल रूप का वर्णन बडे़ ही सुंदर ढंग से किया गया है। इनके बचपन से जुड़ी अनेक कथाएँ आज भी हनुमान-भक्तों द्वारा सुनी जा सकती हैं। ऐसी ही कुछ कथाओं को सरल भाषा एवं सुंदर चित्रों सहित हमने इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है। ये कथाएँ अवश्य ही बाल पाठकों के लिए रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगी।
‘इसी पुस्तक से’
5 नवंबर, 1964 को नगर नजीबाबाद (उ.प्र.) में जनमे लेखक एवं चित्रकार मुकेश ‘नादान’ ने साहित्य-जगत् में अपनी अलग पहचान बनाई है। विभिन्न विषयों पर संपादित एवं लिखी गई दो सौ से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। बाल पाठकों के लिए अनेक सचित्र एवं शिक्षाप्रद पुस्तकें लिखकर उनमें शिक्षा एवं संस्कृति का संचार किया है। ‘नन्ही मुनिया’, ‘जंगल और आदमी’, ‘शिक्षाप्रद बाल कहानियाँ’, ‘शिक्षाप्रद बाल गीत’ जैसी पुस्तकें आज भी बाल पाठकों की पहली पसंद बनी हुई हैं। विभिन्न विषयों पर उपयोगी श्रंखला में लिखी ‘महानायक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम’ (जीवनी), ‘प्रदूषण का कहर’, ‘बुढ़ापा : वरदान या अभिशाप’, ‘विश्व प्रसिद्ध महान् संत’ (जीवनियाँ), ‘बचपन॒: दशा और दिशा’ आदि पुस्तकें भी लोकप्रिय हुई हैं।