भगवान् कृष्ण से तो तुम भली प्रकार परिचित होगे। उनकी लीलाएँ तथा उनके अनेक चमत्कार हमें सुनने और पढ़ने को अकसर मिल ही जाते हैं। भगवान् कृष्ण ने अपनी बाल्यवास्था में जहाँ माखन चुराया तथा गोपियों को सताया, वहीं उन्होंने अनेक असुरों का संहार भी किया। इसी के साथ ‘महाभारत’ में द्रौपद्री की लाज बचाई और अर्जुन को ‘गीता’ का उपदेश भी दिया। इस पुस्तक में हम उन्हीं भगवान् श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर रहे हैं। सरल भाषा तथा चित्रों द्वारा पुस्तक को रोचक व ज्ञानवर्धक बनाने का पूर्ण प्रयास किया है। हमें आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक केवल बाल पाठकों के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक वर्ग के पाठकों के लिए उपयोगी होगी।
‘इसी पुस्तक से’
जन्म : 18 नवंबर, लखनऊ (उ.प्र.)।
प्रकाशन : ‘इंद्रधनुष अनुभूति के’, ‘झाँकता गुलमोहर’, ‘नई सदी के हस्ताक्षर’, ‘कहने को बहुत कुछ था’, ‘ठहरा हुआ सच’ (कहानी-संग्रह)।
सम्मान-पुरस्कार : ‘महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान’, ‘जनाब अब्दुल खालिक बच्चा सम्मान’, ‘मानव सेवा सम्मान’, ‘वैश्य गौर सम्मान’, ‘भारतीय बाल कल्याण साहित्य सम्मान’, ‘पांचाल महिला रत्न’, ‘शहीद महिला रत्न’ के अलावा अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
संप्रति : अध्यक्ष (प्रदेश शाखा), नारायणी साहित्य एकेडमी, नई दिल्ली; संस्थापक महासचिव, सृजन जनकल्याण सेवा समिति, बरेली।
वस्त्र मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की सदस्य।