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लालू यादव और नीतीश कुमार यानी चूना और पनीर। एक करिश्माई लेकिन दागी लोकप्रिय नेता, और दूसरा चालाक और अंतर्मुखी। दोनों को मिला दें तो आकर्षक जोड़ी बनती है। कुछ के लिए नायक, तो कुछ के लिए खलनायक; वंचितों के समर्थक, लेकिन स्वभाव से अभिमानी; युवाओं के मित्र लेकिन अधेड़ों के शत्रु। एक चौथाई शताब्दी से ये दोनों ही बिहार का भाग्य बना-बिगाड़ रहे हैं। बिहार के लिए लालू और नीतीश का मतलब क्या है? इस पुस्तक में पहली बार संकर्षण ठाकुर की इन दोनों की व्यापक रूप से प्रशंसित जीवनियों की पुनर्लिखित और नवीन तथा विस्तृत जीवनियाँ प्रस्तुत की जा रही हैं। देश के सर्वश्रेष्ठ पत्रकारों में से एक संकर्षण ठाकुर ने यह शानदार लेखन किया है। इसमें जहाँ कुछ व्यक्तिगत स्मृतियाँ शामिल हैं, तो कुछ राजनीतिक चित्रण और कुछ कठोर विचार भी हैं, जिस वजह से बिहार को समझने के लिए यह पुस्तक पढ़ना अनिवार्य हो जाता है|
संकर्षण ठाकुर का जन्म सन् 1962 में पटना में हुआ। सन् 1984 से उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर अनेक प्रकाशनों के लिए रिपोर्ट भेजने और लिखने का कार्य व्यापक स्तर पर किया है। वह लालू यादव की राजनीतिक जीवन-गाथा ‘Subaltern Saheb’ के रचयिता हैं और वर्तमान में ‘The Telegraph’ के घुमंतू संपादक के रूप में कार्य करते हैं।